वरि गरिबा वीरा जी अबला,Vari Gariba Veera Ji Abala
वरि गरिबा वीरा जी अबला, सुख संसारीं तें केंवि तिला ॥
राघव तोडित धनु ऋषिवेषें, मग जाई वना सीताबाला ॥
अधन धनंजय मीनवधा करी, वनीं वास मग पांचालीला ॥
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