वसुधातलरमणीयसुधाकर,Vasudha-Tal-Ramaniya
वसुधातलरमणीयसुधाकर ।
व्यसनघनतिमिरि बुडविसी कैसा ? ॥
सृजनि जया परमेश सुखावे ।
नाशुनि ह्या, तुजसि मोद नृशंसा ॥
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