नच पार नाद निधिला,Nach Paar Naad Nidhila
नच पार नाद निधिला ।
विधितनया वीणा वाही, तरुनि जावया ।
पैलतीर परि ना दिसला ॥
ब्रम्हनाद नटवी गानकला श्रुति पंचम जी, श्रुतिसि गोचर ।
स्वरलेखनि जरि बांधिली तिला ।
हीननाद होई स्वरमाला ॥
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