प्रिया सुभद्रा घोर वनीं,Priya Subhadra Ghor Vani
प्रिया सुभद्रा घोर वनीं ह्या निशाचरें भेटविली ।
हेंचि कळेना गुप्त कशी ती एकाएकीं झाली ॥
मायावश केलें । की मज स्वप्नचि हें पडलें ॥
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