पाही सदा मी परि केवि,Pahi Sada Mi Pari Kevi
पाही सदा मी परि केवि नाथ भासे मला नवोनव ॥
स्वरूपगर्वा करि अदय धावा ।
दे भूषणसहाया हतबलहृदया डाव हा मांडिला ॥
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