त्यागभाग सांग,Tyagbhag Sang
त्यागभाग सांग तव दीन कोणता ? ॥
पूर्ण विरागी निजसुख भोगी ।
परानुरागी होसि देवता ।।
विश्वपित्यासी चिंता न अशी ।
गणि सृष्टीशी । तोहि भिन्नता ॥
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