सरिता जनिं या प्रबला,Sarita Jani Ya Prabala

सरिता जनिं या प्रबला भारी ।
जरि दिसती शीर्ण नयनांतें अविकारी ॥

उत्तान गमति दर्शनीं जरी ।
गंभीर अति तरी ।
भवजलधीहुनि दुस्तर संसारी ॥

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