प्रेमभावे जीव जगी या,Prem Bhave Jeev Jagi Ya natala
प्रेमभावे जीव जगी या नटला । एकचि रस प्याला ॥
नसती भिन्न रस हे, शृंगारराजा नवदल ल्याला ॥
सकला किरणरंगा दावी इंद्रधनुषी जननयनाला ॥
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