प्रभुपदास नमित दास,Prabhupadas Namit Das
प्रभुपदास नमित दास मंगलमात्रास्पदा वरदा सदवनिं लव
यदवलंब विलंब न करि हरि दुरिता सौख्य वितरि ॥
सारस्वतचरणकमल । दलिं विरहत कविमंडल ।
दुर्लभ तें दिव्य स्थळ । पंकनिरत ।
राम रमत । धन्य तरी ॥
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