परिचित जो या रसिकजनां,Parichit Jo Ya Rasikajana
परिचित जो या रसिकजनां त्या कवि गोविंदें रचिलें ।
शारदाख्य नवनाटक गानीं, विविधगुणीं जें खचिलें ।
प्रयोगरूपें तें । रुचेल यांना का कांते ? ॥
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