नाट्यगाननिपुण कलावतिची,Natya Gaan Nipun

नाट्यगाननिपुण कलावतिची ही माया ॥

अंतरिंचा भाव एक । दाखवि वरपांगिं एक ।
बाह्यांतर वृत्ति देख । भिन्न भिन्न छाया ॥

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