दे हाता या शरणागता,De Hata Ya Sharanagata
दे हाता या शरणागता ॥
मदविलासित नदगता पंकयुता मुखमलिना धना हो त्राता ॥
संपदा चपलचरणा । आपदा भोगि नाना । परत ये पद्मसदना ॥
कुवलय तव मुख तिला; अजि कमला विनवि तुला, मला घे आतां ॥
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