जय जय रमारमण श्रीरंग,Jay Jay Rama-Raman
जय जय रमारमण श्रीरंग !
पदारविंदी सदा रमावा
माझा मानस भृंग !
त्रिभुवन सुंदर रूप देखुनी
लज्जित होय अनंग !
संत जनांच्या कीर्तन रंगी
रंगनाथ हो दंग !
तो करुणाकर, तो कमलाकर
जलाधर श्यामल अंग !
भक्त चालकां मुदित करितसे
दुरित दैन्य भय भंग !
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