अशी नटे ही चारुता,Ashi Nate Hi Charuta
अशी नटे ही चारुता ।
सतनु काय विसरवि स्मृति । वरित सार्थता ॥
नयनि तरलता, नाचत खेळत ।
विभवि नव दिसत हास्य लयास ॥
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