लोळत कच मुखमधुवरि, त्यासि तोचि कर निवारी ।
भ्रमरयोग कमलभोग, या धर्मा दूर न करि ॥
शिक्षेला कच न पात्र; देवयानि, तूचि शपथ सफल काम ।
नलिनिनाथ दुखवि न वनि कच यापरि ॥
भ्रमरयोग कमलभोग, या धर्मा दूर न करि ॥
शिक्षेला कच न पात्र; देवयानि, तूचि शपथ सफल काम ।
नलिनिनाथ दुखवि न वनि कच यापरि ॥
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