लपविला लाल गगन-मणि, परि दिन अशुभ होत नच,
दृष्टि न विफला; मगध-समरपति नव रवि उगवला ॥
योग्यचि वर मम, सुखविल बाला;
शुभ दिन अजि सुता; वारिल बघ शिशुपाला ॥
दृष्टि न विफला; मगध-समरपति नव रवि उगवला ॥
योग्यचि वर मम, सुखविल बाला;
शुभ दिन अजि सुता; वारिल बघ शिशुपाला ॥
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