बुझावो दीप ए सजनी,Bujhavo Deep A Sajani

बुझावो दीप ए सजनी ।
यही है प्यारका पैगाम ॥

जलनेवाले चिरागोंका ।
सुहानी रातमें क्या काम ?
सजनी आज मीलनकी रात ॥

एक चंद्रमा गगमें चमके ।
दुजे हमारे साथ ।
करत नैन मदभरे तुम्हारे ।
अमृतकी बरसात ॥

गुंज रही है मनकि कोयलिया ।
मीठी मीठी बात ।
"फिर न कभी आएगी ऐसी
सुरस सुहानी रात !" ॥

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