तारे नहीं ये तो रातको आतिश भरे मोरे आहनें ।
है लिख दिया आसमां पर तेरे सितमका माजरा ॥
ओ गुलबदन जादुनयन, फुलोंसे नाजुक तन तेरा ।
जालीम तेरे नयनोंने क्यों घायल किया जियरा मोरा ॥
कभि कह के कुछ पछताये हम, कभि रह के चुप पछताये हम ।
पर इक हि नतीजा ये हुवा- उलजहन से मेरा दिल गिरा ॥
तुझे क्या खबर है ओ बेवफा, आँखों कि हो तुम रोशनी ।
लग जा गले को नाजनीं, ये दिल भी रोशन कर जरा ॥
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