घुमत ध्वनि कां हा,Ghumat Dhwani Ka Ha
घुमत ध्वनि कां हा । गे प्रणयिनि मम मनी ।
गा प्रिया जा राया । अमरपद घ्याया समरि या ॥
नाचत पूर्वा जाया जिवाची । उधळि स्मितरंग करि गुंग ।
रविला प्रिया रणिं न्हाया ॥
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