कांता वंचिता निज पतिता,Kanta Vanchita Nij Patita
कांता वंचिता निज पतिला संसारी ।
कठिण खड्ग न्याय करिल ।
अजि करि धरिता ॥
सदनीं काय वै-यांना ।
देइ ठाव कुलांगना ।
कुलांगारिणी ती पतिता ॥
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