या धनागमकानी,Ya Dhanagamakani
या धनागमकानी वर-पितयां ।
सहज लाभे श्वानता मनुजी वसना ॥
सतत वदती धना ।
न सुतसुखलाभ मना ।
वाटते मितभाषिता नराधम मानिता ॥
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