उगिच का कांता,Ugich Ka Kanta
उगिच का कांता गांजिता दासी दीना ॥
व्यापुनिया सारी धरणी । मूर्ति आपुली या नयनी
खेळते पहा दिनरजनी । तेवि हृदय मंचकि लीना ॥
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