कुसुमायुध चारुकांत,Kusumayudha Charukant
कुसुमायुध चारुकांत । निर्मी आमोद शांत ।
परिनाशा त्या संगे । कीटकासि मूढ सृजित ॥
अखिल भुवन भूषणा । प्रेरि जगति नरवशासि ।
दनुज तया, का नकळे । नाशाया मग निमित ॥
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