आनंदें नटती, Aanade Natati
आनंदें नटती । पाहुनि ज्या गृहमयूरपंक्ती ॥
गमनोत्सुक हे हंस असुनियां । धैर्य नसे त्यां गमन कराया ।
कामुकगगनासम रोधाया । मेघ पहा फिरती ॥
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